Broom Creeper, Cocculus hirsutus uses

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Let's started,
व्यवहारिक नाम:
अंग्रेजी: ब्रुम क्रीपर Broom Creeper, ईंक बेरी ink berry।
उडीया: मुस्कानी।
उर्दू: फ़रीद बूटी।
कन्नड: डागडी बाली, डागडी सोपु, कागे मारी।
कोंकणी: वासनवेल।
तमिल: कट्टू-क-कोटी।
तेलुगु: चीपुरू-टीगा, दुसरीतीगा, कटलाटीगे।
पंजाबी:  फरीद बूटी।
बंगाली: हूयेर।
मराठी: वासनवेल।
मलयालम: पाथालगरूडाक्कोटी, पाथालमूली।
‌‌‌लैटिन: कोकूलस हिर्सुटस (Cocculus hirsutus), कोकूलस ‌‌‌विलोसस (Cocculus villosus)।
संस्कृत: अम्बष्ठ, दीर्घकन्द, दीर्घवल्ली, गारुडी, महामूल, पातालगारुडी, प्राचीन, सौपर्णी, सोमवल्ली, श्रेयसी, स्थपनी, वनतिक्तक, वत्सादनी, विद्धकर्णी।
हिन्दी: फ़रीद बूटी, ‌‌‌जलजमनी।
स्वाद: इसका स्वाद फीका होता है।
‌‌‌‌‌‌पौधे का स्वरूप: बूटी शेखफरीद एक प्रकार की घास होती है। बूटी शेखफरीद हरे रंग की होती है। जिसके पत्तों का रस पानी को जमा देता है। ‌‌‌यह एक बेल है जो बरसात के मौसम से ठीक पहले अप्रैल, मई के महीनों में उगना शुरू होजाती है। इसकी जड़ ज़मीन में पौधा सूख जाने के बाद बहुत दिनों तक सुरक्षित  रहती है और उपयुक्त मौसम आने पर जड़ से बेल फूट निकलती है और पास के पौधों पर चढ़ जाती है।
पत्ते: इसके पत्ते चिकने और शीतल होते हैं।
स्वभाव: यह ठंडी होती है।
‌‌‌औषधीय गुण: बूटी शेखफरीद कफ के बुखार और पेट के दर्द को खत्म करती है। यह टूटी हुई हड्डी को जोड़ती है। धातु को पुष्ट करती है और इच्छा शक्ति को बढ़ाती है।
दाद-खाज और खुजली: इसकी पत्तियों को कुचलकर रोग ग्रस्त अंगों पर सीधे लगा दिया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिल जाता है।
दर्द: जल-जमनी की पत्तियों और जड़ों को अच्छी तरह पीसकर जोड़ों के दर्द में आराम के लिये उपयोग में लाते है। माना जाता है कि जोड़ दर्द, आर्थराईटिस और अन्य तरह के दर्द निवारण के लिए यह नुस्खा काफी कारगर साबित होता है।
शुक्राणुहीनता: शुक्राणुओं की कमी की शिकायत वाले रोगियों को पत्तियों के काढे का सेवन की सलाह देते हैं, वैसे इस पौधे की पत्तियों के स्पर्मेटोसिस (शुक्राणुओं के बनने की प्रक्रिया) में सफल परिणामों के दावों को अनेक आधुनिक वैज्ञानिक शोधों ने भी साबित किया है।
मधुमेह: इसकी कम से कम चार पत्तियों को सुबह शाम चबाना चाहिए, माना जाता है कि टाईप-2 डायबिटिस के रोगियों के लिए ये एक कारगर हर्बल उपाय है।
पौरुषत्व: इसकी कुछ पत्तियों को लेकर कुचल लिया जाए और इसे पानी में मिला दिया जाए तो कुछ ही देर में पानी जम जाता है अर्थात पानी एक जैली की तरह हो जाता है। आदिवासियों का मानना है कि इस मिश्रण को यदि मिश्री के दानों साथ प्रतिदिन लिया जाए तो पौरुषत्व प्राप्त होता है। आदिवासी हर्बल जानकार इसके स्वरस को सेक्स टोनिक की तरह कमजोरी से ग्रस्त पुरुषों को देते हैं। य़ही फ़ार्मुला गोनोरिया के रोगी के लिए भी बड़ा कारगर है।
श्वेत प्रदर व रक्त प्रदर: 5-7 ग्राम पत्तियों को पीसकर रस निकालें और एक कप पानी में मिश्री और काली मिर्च के साथ सुबह शाम लेने से 2-3 दिन में ही लाभ मिलने लगता है।
स्वप्नदोष, धातुक्षीणता: इसके पत्तों के रस को 10-15 दिन तक भी लिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त टहनियों समेत इसे सुखाकर, कूटकर 2-2 ग्राम पाउडर मिश्री मिलाकर दूध के साथ लिया जा सकता है।
‌‌‌विशेष: यह देर में हजम होती है।

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